हर फिल्म से पहले दिखता है ये चेहरा। जाने कोन है मुकेश हारने ?
अब आपको एक चेहरा याद आयेगा मुकेश हराने का. आज सिनेमाघर में ये मुकेश को देखकर लोग अधिक सीटी बजाते है.
जिसका हम मजाक उड़ाते रहते है.
ये कहानी उनकी है.मुकेश महाराष्ट्र के भुसावल नामके एक छोटे से शहर में रहने वाला सीधा साधा युवा था. उनकी कहानी बहुत सरल थी. लेकिन एक लत ने उनकी जिन्दगी बर्बाद कर दी.मुकेश की लत लगने और मृत्यु की और बढने का समय बहुत छोटा है. सिर्फ 1 साल का. जो बहुत कम था.
जब मुकेश की वीडियो ग्राफी के लिए अनुमति ली गयी तब उनके पास कहने को बहुत कम शब्द थे. “मेरी माँ ने मुझे गुटखा खाने की लत को छोड़ने के लिए मुझे पिटा, लेकिन मैंने उनकी सलाह पर ध्यान नहीं दिया और उस चीज को चबाने के लिए उनकी सलाह अनसुनी कर दी.।”
मुकेश का चेहरा बहुत भोला और विनम्र था और उनकी कम उम्र ने दर्शकों के लिए वो ज्यादा सवेंदनशील बनाती थी। उसने 2009 में दम तोड़ दिया.
जब तंबाकू विरोधी अभियान के लिए उनका वीडियो डालने की अनुमति के लिए संपर्क किया गया, तो मुकेश के परिवार ने उन्हें विज्ञापन फिल्मों में दिखाए जाने के लिए सहमति व्यक्त की।
उसका भाई उसकी मृत्यु का शोक मनाता है और कहता है कि वह हर समय अपने भाई का होर्डिंग नम आँखों से देखता रहता है।
मुकेश उस परिवार के लिए कमाने वाला एक मात्र स्त्रोत था, उनके पिता मजदूर थे.
2012 में "मुकेश" और "स्पंज" की विज्ञापन फिल्म को प्रदर्शित करने के लिए नेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर टोबैको इरडिकेशन (नोट) ने सभी फिल्म थियेटरों के लिए अनिवार्य कर दिया , जो 2013 अक्टूबर तक चली थी.
लेकिन मुकेश के भाई मंगेश ने एक रेडियो चेनल में इंटरव्यू दिया और कहा की मुकेश को केंसर नही था उसे फूड पाइप का इन्फेक्शन था, उस विज्ञापन के लिए उसे कोई पैसे भी नही दिया गया
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